नैनो तकनीक की सहायता से होगा असाध्य बीमारियों का इलाज
20 ड्रग्स का क्लीनिकल परीक्षण चालू, यूएसएफडीए ने अनुमोदित किए एक दर्जन नैनो ड्रग्स: डा.राकेश शुक्ला
सीडीआरआई में औषधि विकास में नये रुझानों को लोगों ने जाना
लखनऊ। वर्तमान में विज्ञान के कई क्षेत्रों में क्रांति का कारक बनी नैनो तकनीक अब असाध्य बीमारियों के इलाज में एक नई उम्मीद बन कर आई है। यह तथ्य केंद्रीय औषधीय अनुसंधान संस्थान (सीडीआरआई) में शुक्रवार को औषधि विकास में नए रूझानों 'रिसेंट ट्रेंड्ïसÓ पर आयोजित एक सेमिनार में सामने आई। इस सेमिनार में सीडीआरआई के पूर्व निदेशक प्रो.बीएन धवन ने बताया कि नैनोटेक्नोलॉजी से बनने वाली दवाईयां कैंसर, डायबिटीज और न्यूरोइंफ्लेमेंट्री जैसी असाध्य बीमारियों में काफी कारगर साबित हजोंगी।
इस कार्यक्रम में सीडीआरआई के फार्माकोलॉजी विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. राकेश शुक्ला जो 31 अगस्त को रिटायर हो रहे हैं का अभिनंदन भी किया गया।
डा.राकेश शुक्ला ने कहा कि गंभीर बीमारियों से निपटने के लिए यूएसएफडीए लगभग एक दर्जन नैनो ड्रग्स अनुमोदित कर चुकी है। इनमें से करीब 20 ड्रग्स क्लीनिकल परीक्षण के विभिन्न चरणों में हैं। दूसरी तरफ जीन डिलेवेरी और स्टेम सेल थेरेपी के लिए विभिन्न वायरल और नॉन वायरल वेक्टर्स इस्तेमाल हो रहे हैं।
इस कार्यक्रम में केजीएमयू में न्यूरोलॉजी के प्रोफेसर राकेश शुक्ला ने कहा कि माइग्रेन दुनिया कि तीसरी सबसे बड़ी बीमारी है। हालांकि इसका इलाज उन दवाईयों पर निर्भर हैए जो इस मकसद के लिए बनाई ही नहीं गईं। वहीं नई डिजाइनर ड्रग्स सीजीआरपी एंटगोनिस्ट और सीजीआरपी मोनोक्लोनल एंटीबोडीज को बनाया जा रहा है तथा आने वाले समय में माइग्रेन के लिए पर्सनलाइज्ड दवाओं की खोज पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि माइग्रेन एक आनुवांशिक अनियमित मस्तिष्क विकृति है तथा इसके रोगी को चक्कर, उल्टी, रोशनी व आवाज से परेशानी होती है।
इस दौरान सीडीआरआई की निदेशक डॉ. मधु दीक्षित ने मौजूदा समय में औषधि अनुसंधान में हो रहे बदलावों के मद्देनजर औषधि विकास के नए रुझानों पर योजना बनाने पर जोर दिया। इस दौरान डॉ. सी नाथ ने इनवेस्टिगेशनल न्यू ड्रग के सुरक्षा मूल्यांकन के लिए प्री.क्लीनिकल रेगुलेटरी स्टडीज में मौजूदा ट्रेंड्स पर भी चर्चा की।
डा.राकेश शुक्ला: डॉ शुक्ला ने पिछले 35 वर्षों मे नॉलेज जनरेशन के साथ फार्माकोलोजी मे अप्लाइड रिसर्च में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वह सेंट्रल कंट्रोल ऑफ थर्मोरेगुलेशन, सेंट्रल कार्डियोवस्कूलर कंट्रोल और ब्लड ब्रेन बेरियर के रेगुलेशन मे न्यूरोट्रान्समिटर रेसेप्टर की भूमिका को समझने के अलावा न्यूरोइंफ्लेमेशन और मेमोरी फंक्शन पर कार्य कर रहे हैं। उनके 200 से अधिक रिसर्च पेपर विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स मे प्रकाशित हुए हैं और उनकी उपलब्धियों मे 10 पेटेंट्स भी है।
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