लखनऊ का छोरा जर्मनी की क्रिकेट टीम में 

काशिफ ने बीएमडब्लू की फैक्ट्री से तय किया क्रिकेट की पिच तक का सफर
जर्मनी के लिए आईसीसी वल्र्ड क्रिकेट लीग टूर्नामेंट में की शिरकत

लखनऊ। विदेश में लोग नौकरी की तलाश में जाते है लेकिन कुछ लोगों के अंदर ऐसी काबिलियत होती है कि वह विदेशी धरती पर ऐसी छाप छोड़ते है कि बरबस ही मुंह से निकलता है भारत माता की जय। ऐसे ही एक नौजवान है लखनऊ के काशिफ हुसैन जो 2005 में जर्मनी में अपनी स्नाकोत्तर की पढ़ाई करने गए और उसके बाद कार कंपनी बीएमडब्लू में नौकरी करने लगे लेकिन पास ही में एक ब्रिटिश आर्मी बेस पर क्रिकेट के मैच देखकर काशिफ के भीतर दोबारा क्रिकेट का प्यार जाग उठा और नवजात गेम के रुप में जर्मनी में पहचान बना रहे क्रिकेट का कासिफ अहम हिस्सा बन गए और आज जर्मनी की राष्टï्रीय क्रिकेट टीम की तरफ से आईसीसी के टूूर्नामेंट में झंडे गाड़ दिए। 
हालांकि क्रिकेट की दीवानगी काशिफ के खून में तब जगी जब उनके तीसरे जन्मदिन पर उनकी माता कने एक उन्हें एक क्रिकेट का बल्ला उपहार में दिया। इसके बाद अपने घर के बच्चों के साथ खेलते हुए पहले सेंट फिडलिस कॉलेज और फिर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की टीम का हिस्सा बन गए। इसके बाद 2005 में जर्मनी पढऩे गया यह 34 वर्षीय कम्प्यूटर साइंस का परास्नातक और म्यूनिख स्थित  बीएमडब्लू मुख्यालय में प्रोजेक्ट मैनेजर के तौर पर तैनात हुए काशिफ के सपनों को तब उड़ान मिली जब उन्हें पता चला कि जर्मनी भी क्रिकेट के क्षितिज पर जगह बनाने का प्रयास कर रहा है। वर्तमान में फियट क्रिसलर आटोमोबाइल्स में कार्यरत काशिफ ने अपने व्यस्त कार्यक्षेत्र के अलावा क्रिकेट को भी समय देना शुरू कर दिया। शुरुआत में ब्रिटिश आर्मी बेस में जवानोंं के साथ क्रिकेट खेलते हुए काशिफ को पहली बड़ी सफलता तब मिली जब उनका 2008 में एनआरडब्लू स्टेट की टीम में चयन हुआ। इसके अगले साल कासिफ ने 2009 में म्यूनिख इंटरनेशनल क्रिकेट क्लब से खेलना शुरू किया और फिर उनका चयन 2010 में बायर्न स्टेट की टीम में हुआ। इसके बाद से अब तक वह जर्मनी के अंतराज्यीय टूर्नामेेंटों में एक चर्चित चेहरा बने हुए है। उसके बाद इस साल वह जर्मनी की राष्टï्रीय टीम का हिस्सा बने और जून में हालैंड में पहले टूर्नामेंट में मेजबान के खिलाफ खेले गए टी20 मैच में छह रन देकर पांच विकेट झटकते हुए अपनी टीम को अहम जीत दिलाई। उसके बाद फ्रांस के खिलाफ भी अपनी टीम को जीत दिलाने में काशिफ ने अहम भूमिका निभाई। 
इस प्रदर्शन का परिणाम रहा कि  कासिफ का चयन 17 से 20 अगस्त तक हुए आईसीसी वल्र्ड क्रिकेट लीग टूर्नामेंट के लिए जर्मनी की टीम में कर लिया गया। पांच यूरोपियन देशों के बीच हुए  इस टूर्नामेंट की विजेता टीम को 2018 के आईसीसी टी20 विश्वकप में खेलने का मौका मिलेगा। 
ऐसा नहीं है कि काशिफ सिर्फ अकेले ऐसे क्रिकेटर है। बताते चले कि जर्मनी के ज्यादातर क्रिकेटर आईटी प्रोफेशनल के तौर पर नौकरी करते हैं, व्यवसायी होते है और विद्यार्थी भी। काशिफ बताते है कि जर्मनी में क्रिकेट के लिए उतनी सुविधाएं नहीं है। फुटबॉल के दीवाने इस देश में क्रिकेट अभी संघर्ष कर रहा है तथा इसका सबसे बड़ा उदाहरण म्यूनिख है जहां क्रिकेट के लिए सिर्फ एक स्थायी पिच है। उन्होंने कहा कि हमारी क्रिकेट टीम एक परिवार की तरह है जहां सब जुनून में एक साथ जुड़े है। काशिफ ने कहा कि यहां देश में पढ़ाई के चलते क्रिकेट में आगे नहीं बढ़ पाया लेकिन खुशी है कि जर्मनी में अब मेरे सपनों को मंजिल मिल गयी है। 

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