लखनऊ। बच्चों की कल्पना शक्ति के विकास, प्रेरणा एवं कथा-कहानी के माध्यम से नैतिक मूल्यों के प्रसार हेतु मंगलवार को सरोजनीनगर के प्राथमिक विद्यालय अनौरा में बच्चों को चमत्कारी पतीला कहानी सुनाई गई।
लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा प्रतिमाह आयोजित की जाने वाली ‘दादी-नानी की कहानी’ श्रृंखला के अन्तर्गत स्टोरीमैन जीतेश श्रीवास्तव ने बच्चों को दूसरों की मदद करने के लिए सदैव तत्पर रहने की बात समझाते हुए दया, करुणा और परोपकार भावना को अपनी आदत में शुमार करने की प्रेरणा दी।
दादी नानी की कहानी श्रृंखला
कार्यक्रम की शुरुआत बच्चों को दिये कठिन वाक्य के उच्चारण अभ्यास और मनोरंजक खेल से हुई। लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी, लोकभाषाओं की प्रभारी आभा शुक्ला, वरिष्ठ रंगकर्मी गजेन्द्र सिंह चौहान उर्फ सोनल ठाकुर ने स्कूली बच्चों से संवाद किया, प्रेरक बातें बतायीं तथा बच्चों को गीत सिखाये।
पुरस्कृत हुई राधा की परोपकार भावना
प्राथमिक विद्यालय अनौरा की प्रधानाध्यापिका सुश्री मनीषा मिश्रा ने अतिथियों का स्वागत किया। वर्षा और जाह्नवी ने तिलक लगाया। सूर्यांश ने दादी कहती काशी फल मम्मी कहती सीता फल, चांदनी ने चमक रहा है तेज तुम्हारा, प्रांजल, सृष्टि व सौम्या ने हाथी आता कान पूंछ और सूंड़ हिलाता, श्रेयांस, हर्षित, रुद्र, मानवी और रानी आदि ने कविताएं सुनायीं।
सभी बच्चों ने समवेत स्वर में अभिनययुक्त संगीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में सहायक अध्यापिका परमजीत कौर, शिक्षा मित्र सुभाष चंद्र यादव एवं अर्चना यादव, रसोइया बिटाना, करुणा आदि उपस्थित रहे।
राधा को मिला चमत्कारी पतीला :
कहानी की शुरुआत एक गांव से होती है जहां जगदीश व जानकी नामक दयालु और उदार दम्पत्ति रहते थे। उनकी एक बेटी राधा थी जो माता-पिता की भांति ही दयालु थी। राधा का विवाह कर दिया गया। विवाह के बाद भी राधा के अन्दर दूसरों की मदद करने की तत्परता बनी रही।राधा के पति, सास और ससुर मजदूरी करने जाया करते और जो भी कमाई होती उसी से घर चलता। इसके बावजूद राधा से जितना भी बन पड़ता लोगों की मदद करती रहती थी। राधा के इस स्वभाव से उसकी सास बहुत नाराज होती। एक बार कई दिन तक काम नहीं मिलने से घर में राशन तक की दिक्कत हो गई।
ऐसी स्थिति में गांव के उन लोगों ने राधा के परिवार की मदद की, जिनकी मदद कभी राधा ने की थी। इसी बीच एक दिन जब राधा अपने पति, सास व ससुर को खाना परोस रही थी तभी दरवाजे पर एक वृद्ध महिला आई। उसने कई दिन से भूखे होने की बताते हुए खाना मांगा। राधा ने उसे अपने हिस्से का भोजन दे दिया।
इतने में वह वृद्धा सुन्दर महिला के रूप में परिवर्तित हो गई और खुद को ग्राम-देवी बताते हुए राधा को एक चमत्कारी पतीला दिया और कहा कि तुम जो भी बनाने की इच्छा करोगी वह अपने आप तैयार हो जाएगा। इसमें भोजन बनाना और अपने परिजनों के साथ ही जो भी भूखा-प्यासा आये उसे तृप्त करना।
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