लखनऊ। भगवान बिरसा मुंडा की जयंती जनजाति गौरव दिवस के रूप में धूमधाम से मनाई गईं । विभिन्न जिलों के जनजातीय कलाकारों ने अपनी लोक संस्कृति से रूबरू कराया। लोक जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान लखनऊ द्वारा गौरव दिवस का आयोजन किया गया।
गोमती नगर स्थित उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी में हुए कार्यक्रम का आयोजन आजादी की 75वीं वर्षगांठ और आजादी के अमृत महोत्सव के तहत किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि राज्य ललित कला अकादमी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष सीताराम कश्यप, संस्कृति विभाग के विशेष सचिव आनंद कुमार ने दीप प्रज्वलित कर किया।
जनजातीय गौरव दिवस के रूप में हुआ आयोजन
कार्यक्रम का संचालन अलका निवेदन ने किया। दिन में जनजातीय कलाकारों जनजातीय लोक संस्कृति से रूबरू कराया। जिसमें लकड़ी बांस से बने तीर.धनुष जैसे औजार, दुर्लभ वाद्य यंत्र, जड़ी.बूटियां, हस्तशिल्पों के विभिन्न रूपों से परिचित कराया।
कैनवस पर चित्रित हुई जनजातीय संस्कृति
चित्रकार शिविर में जनजीय समुदाय का इतिहास, उपलब्धियां, संस्कृति, आजादी के संघर्ष में उनके योगदान को चित्रित किया। राज्य ललित कला अकादमी उत्तर प्रदेश की ओर से आयोजित एक दिवसीय शिविर व प्रतियोगिता में लखनऊ के पांच कला महाविद्यालयों के 65 स्टूडेंट्स ने जनजातीय समुदाय के विभिन्न पहलुओं से लोगों को रूबरू कराया।
शाम को कैम्प के समापन के बाद उत्कृष्ट चित्रकारों को मुख्य अतिथि सीताराम कश्यप व आनंद कुमार ने पुरस्कृत किया गया। इस दौरान हुई चित्रकला प्रतियोगिता में गोयल इंस्टीट्यूट की हर्षिता प्रजापति (11 हजार रुपए) पहले, कला व शिल्प महाविद्यालय की प्रीतिलता (7 हजार रुपए) दूसरे, गोयल इंस्टीट्यूट के कुशाग्र तिवारी (5 हजार रुपए) तीसरे स्थान पर रहे। सांत्वना पुरस्कार शकुन्तला मिश्रा विवि के सुमित कुमार और टेक्नो इंस्टीट्यूट की मृदुला मल्ल (2-2 हजार रुपए) को मिले।
कार्यक्रम का शुभारंभ निदेशक लोक एवं जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान के निदेशक विनय कुमार श्रीवास्तव ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गणों में भारतेंदु नाट्य अकादमी के अद्यक्ष रविशंकर खरे, ललित कला अकादमी के अध्यक्ष श्री सीता राम कश्यप, प्रमुख सचिव संस्कृति श्री मुकेश मेश्राम, विशेष सचिव संस्कृति श्री आनंद कुमार मौजूद थे।
सोनभद्र, चंदौली व छत्तीसगढ़ सहित अन्य विभिन्न जिलों के जनजातीय कलाकारों ने अपने हस्तशिल्प की प्रदर्शनी लगाई। जिसमें दुर्लभ वाद्य यंत्र, वन्यजीवों से बचाव के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले औजार और अन्य पारंपरिक हस्तशिल्पों को प्रदर्शित किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ निदेशक लोक एवं जनजाति कला एवं संस्कृति संस्थान के निदेशक विनय कुमार श्रीवास्तव ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गणों में भारतेंदु नाट्य अकादमी के अद्यक्ष रविशंकर खरे, ललित कला अकादमी के अध्यक्ष श्री सीता राम कश्यप, प्रमुख सचिव संस्कृति श्री मुकेश मेश्राम, विशेष सचिव संस्कृति श्री आनंद कुमार मौजूद थे।
जनजातीय हस्तशिल्प और जड़ी.बूटियां
सोनभद्र, चंदौली व छत्तीसगढ़ सहित अन्य विभिन्न जिलों के जनजातीय कलाकारों ने अपने हस्तशिल्प की प्रदर्शनी लगाई। जिसमें दुर्लभ वाद्य यंत्र, वन्यजीवों से बचाव के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले औजार और अन्य पारंपरिक हस्तशिल्पों को प्रदर्शित किया।
वाराणसी चंदौली से आये वैद्य हीरामन ने देशी जड़ी बूटियों से बनी दवाएं, विभिन्न रोगों के लिए कई तरह की दुर्लभ जड़ी बूटियों का चूर्ण के बारे में बताया। चंदौली के देवशरण ने नसों से चिकित्सा के बारे में बताया।
सोनभद्र के जनजातीय क्षेत्र से आये पवन कुमार फूलवा, गीता, रवि गोंड ने खजूर की पत्तियों, बांस व पलाश की पत्तियों और अन्य दुर्लभ लकड़ियों से बने कलात्मक हस्तशिल्पों की प्रदर्शनी लगाई। जिसमें दोना.पत्तल, इको चटाई, तीर.धनुष, टोकरी सहित अन्य हस्तशिल्पों को प्रदर्शित किया।
सोनभद्र के जनजातीय क्षेत्र से आये पवन कुमार फूलवा, गीता, रवि गोंड ने खजूर की पत्तियों, बांस व पलाश की पत्तियों और अन्य दुर्लभ लकड़ियों से बने कलात्मक हस्तशिल्पों की प्रदर्शनी लगाई। जिसमें दोना.पत्तल, इको चटाई, तीर.धनुष, टोकरी सहित अन्य हस्तशिल्पों को प्रदर्शित किया।
चंदौली वाराणसी के अनिल ने शीशम और केमा लकड़ी से बने औजार बनाकर दिखाये। सनी ने जनजातीय पूजन अनुष्ठान के बारे में बताया। उन्होंने गूलर की लकड़ी से नाव बनाकर दिखाई। सभी कलाकारों ने प्रदर्शनी स्थल पर हस्तशिल्पों के निर्माण की प्रक्रिया दिखाई।
पेश किये जनजातीय लोक रंग
गोंडी गोठुल पाठशाला वाराणसी की छात्राओं ने ने पारंपरिक शैला लोक नृत्य.गायन पेश किया। जिसमें बच्चों ने फसलों की बुआई व कटाई, वैवाहिक संस्कार और तीज.त्योहारों की खुशियों का प्रदर्शन किया। पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुनों पर थिरकते कलाकारों ने जनजातीय संस्कृति के रंगों से रूबरू कराया।छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने पारंपरिक गोंड सम्बलपुरिया नृत्य दिखाया। जिसमें जनजातीय किसानों के खेती किसानी के पलों को बयां किया। वाराणसी व सोनीभद्र और अन्य जिलों के कलाकारों ने तीज.त्योहार, खेती किसानी और जनजातीय संस्कारों के समय किये जाने वाले नृत्य संगीत का प्रदर्शन कर समा बांध दिया।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों में छत्तीसगढ एवं झारखण्ड के आदिवासियों का शैला नृत्य, सोनभद्र के कलाकारों द्वारा करमा नृत्य, इलाहाबाद के कलाकारों द्वारा ढिढिया नृत्य किया वही कार्यक्रम के समापन के समय मुख्य सचिव संस्कृति मुकेश मेश्राम ने जतजातीय प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागियो को क्रमशः प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ एवं पंचम को पुरस्कृत करने के उपरांत आशीर्वचन प्रदान कर धन्यवाद ज्ञापित किया।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों में छत्तीसगढ एवं झारखण्ड के आदिवासियों का शैला नृत्य, सोनभद्र के कलाकारों द्वारा करमा नृत्य, इलाहाबाद के कलाकारों द्वारा ढिढिया नृत्य किया वही कार्यक्रम के समापन के समय मुख्य सचिव संस्कृति मुकेश मेश्राम ने जतजातीय प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागियो को क्रमशः प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ एवं पंचम को पुरस्कृत करने के उपरांत आशीर्वचन प्रदान कर धन्यवाद ज्ञापित किया।
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