सृष्टि का कल्याण करती है नारी की ममत्व भावना


लखनऊ : बेटियां अपने मां-बाप का ख्याल बेटों से बेहतर कर रही हैं। इसके पीछे नारी की ममत्व भावना ही काम करती है। यह ममता जब सीता के रूप में निर्वासित होती है तो अपने बेटों को ऐसी ताकत देती है, जिसे शेषावतार लक्ष्मण, वीरबली हनुमान तक नहीं हरा पाते। उस ममता की ताकत को समझने की आवश्यकता है।’’

रंगोली व चित्रकला प्रतियोगिता के साथ ही हुईं कठपुतली व जादू की प्रस्तुतियां

ये बातें लोक विदुषी डा. विद्याविन्दु सिंह ने कहीं। सोमवार को लोक संस्कृति शोध संस्थान द्वारा लोकरंग फाउण्डेशन व जीजीआइसी के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय ‘लोक विमर्श’ के पहले दिन विकास नगर स्थित राजकीय कन्या इण्टर कालेज परिसर में ‘नारी गौरव व स्वाभिमान’ विषय पर मुख्य अतिथि के रूप में अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा कि बच्चियों को समुचित शिक्षा देने, आत्मनिर्भर व स्वावलम्बी बनाने के सरकारी प्रयास तभी सफल होंगे जब हम उसे सामाजिक आन्दोलन बनायेंगे। 

मिशन शक्ति और अमृत महोत्सव पर केन्द्रित दो दिवसीय लोक विमर्श का शुभारम्भ

उन्होंने कहा कि देवगण भी नारी के महत्व को जानते हैं। शिव और पार्वती भ्रमण करने निकलते हैं तो पार्वती का हृदय दीन-दुखियों पर द्रवित हो जाता है। शिव कहते हैं कि वे अपने कर्मों का फल भोग रहे हैं किन्तु पार्वती जी के आगे उनकी नहीं चलती और वे उन दुखियों को अभय देते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि मातृ हठ सृष्टि के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है।
नारी सशक्तिकरण, सुरक्षा और सम्मान पर आधारित मिशन शक्ति तथा आजादी के अमृत महोत्सव पर केन्द्रित यह आयोजन वरिष्ठ लोकगायिका आरती पाण्डेय की स्मृति को समर्पित रहा। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि, डा. विद्याविन्दु सिंह, विशिष्ट अतिथि प्रो. सुधाकर तिवारी, मयूरी पाण्डेय, राजनारायण वर्मा, विद्यालय की प्रधानाचार्य कुसुम वर्मा, लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया।
इंजी. जीतेश श्रीवास्तव, अविनाश पांडेय, नीलम वर्मा, व मधुलिका श्रीवास्तव ने अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर रंगोली व चित्रकला की प्रतियोगिता भी हुई जिसमें एक सौ से अधिक छात्राओं ने प्रतिभाग किया।

कठपुतलियों की नोक-झोंक :

सुप्रसिद्ध कठपुतली कलाकार व नटराजन पपेट ग्रुप के दलनेता देवी शंकर ने कठपुतली का प्रदर्शन कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कठपुतलियों की नोक-झोंक, गीत-संगीत के सहारे लैंगिक असमानता, कुरीतियों व सामाजिक विसंगतियों पर कटाक्ष करते हुए बेटी-बचाओ, बेटी पढ़ाओ और बेटी बढ़ाओ का सन्देश दिया।

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